कोलकाता में भारत की पहली अंडर-रिवर मेट्रो सुरंग का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया। यह सुरंग हावड़ा मैदान और एस्प्लेनेड को जोड़ती है, जो हुगली नदी के नीचे बनाई गई है।
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Table of Contents
India’s First Underwater Metro 2024
विशेषता | विवरण |
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प्रारंभ तिथि | 24 अक्टूबर, 1984 |
पहली अंडर-रिवर मेट्रो सुरंग | हावड़ा मैदान से एस्प्लेनेड तक, हुगली नदी के नीचे |
कुल लंबाई | पूर्व-पश्चिम मेट्रो कॉरिडोर – 16.6 किमी |
भूमिगत खंड | 10.8 किमी (पूर्व-पश्चिम मेट्रो कॉरिडोर के तहत) |
वायडक्ट पर उच्च खंड | 5.75 किमी |
सबसे गहरा स्टेशन | हावड़ा मेट्रो स्टेशन |
नदी के नीचे पार करने का समय | 45 सेकंड |
प्रारंभिक सेवा | एस्प्लेनेड और नेताजी भवन के बीच 3.40 किमी के साथ पांच स्टेशनों पर |
विशेष परियोजनाएँ | पूर्व-पश्चिम मेट्रो कॉरिडोर, अन्य विस्तार परियोजनाएँ |
भारत के पहले अंडरवाटर मेट्रो का उद्घाटन
उद्घाटन समारोह के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने इस नई सुरंग के महत्व को रेखांकित किया, जो हावड़ा और कोलकाता के बीच यात्रा समय को काफी कम कर देगा और दोनों शहरों के बीच संबंधों को मजबूत करेगा। उन्होंने स्कूली बच्चों के साथ मेट्रो में यात्रा की, जो इस यात्रा को और भी विशेष बनाता है, क्योंकि यह युवा पीढ़ी को राष्ट्रीय विकास में शामिल होने का एक संदेश देता है।
हुगली नदी के नीचे बनी सुरंग की विशेषताएं
- कोलकाता मेट्रो का हुगली नदी के नीचे अद्वितीय खंड: पूर्व-पश्चिम मेट्रो कॉरिडोर का यह भाग, हुगली नदी के नीचे भारत का पहला परिवहन सुरंग है।
- विस्तार और कनेक्टिविटी: यह 16.5 किलोमीटर लंबे पूर्व-पश्चिम मेट्रो कॉरिडोर का हिस्सा है, जो हावड़ा को सॉल्ट लेक सिटी से जोड़ता है।
- परियोजना का निष्पादन: कोलकाता मेट्रो रेल निगम लिमिटेड (KMRCL) द्वारा निर्मित, इसमें 10.8 किमी का भूमिगत खंड और 5.75 किमी का वायडक्ट पर उच्च खंड शामिल है।
- ट्रैफिक और प्रदूषण में कमी: यह सुरंग कोलकाता में ट्रैफिक जाम को कम करने और वाहन प्रदूषण को घटाने के उद्देश्य से बनाई गई है।
- रिकॉर्ड समय में पार: मेट्रो इस 520-मीटर लंबे सुरंग को केवल 45 सेकंड में पार करेगी।
कोलकाता मेट्रो
कोलकाता मेट्रो, भारत की पहली मेट्रो प्रणाली, ने शहरी परिवहन में एक क्रांति ला दी है। 1984 में अपनी शुरुआत के साथ, यह न केवल एशिया की पांचवीं मेट्रो सेवा बन गई, बल्कि यह कोलकाता के लोगों के लिए एक आवश्यक यातायात समाधान भी बन गई। इसने न केवल यात्रा समय को कम किया, बल्कि शहरी जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार किया।
कोलकाता मेट्रो का विचार ब्रिटिश काल के दौरान ही आया था, लेकिन विभिन्न कारणों से यह तब साकार नहीं हो पाया। 24 अक्टूबर, 1984 को, इसने अपनी पहली वाणिज्यिक सेवा शुरू की, जिसने एस्प्लेनेड और नेताजी भवन के बीच 3.40 किलोमीटर की दूरी पर पांच स्टेशनों के साथ संचालन किया।
कोलकाता मेट्रो ने तकनीकी नवाचार और नेटवर्क विस्तार पर विशेष ध्यान दिया है। पूर्व-पश्चिम मेट्रो कॉरिडोर, जिसमें भारत की पहली अंडर-रिवर मेट्रो सुरंग शामिल है, ने इसे एक नई ऊंचाई पर पहुँचा दिया है। इस सुरंग के उद्घाटन से, कोलकाता मेट्रो ने न केवल तकनीकी उन्नति की है, बल्कि यातायात और पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान भी प्रदान किया है।
प्रधानमंत्री मोदी की ऐतिहासिक मेट्रो यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कोलकाता में भारत की पहली अंडर-रिवर मेट्रो सुरंग का उद्घाटन किया, जो हुगली नदी के नीचे बनी है। इस ऐतिहासिक घटना के अंग के रूप में, प्रधानमंत्री ने एस्प्लेनेड से हावड़ा मैदान तक मेट्रो की सवारी भी की, जो न केवल एक प्रतीकात्मक कार्यक्रम था बल्कि यह दर्शाता है कि भारतीय नेतृत्व प्रौद्योगिकी और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के महत्व को कितना महत्व देता है।
पूर्व-पश्चिम मेट्रो कॉरिडोर के इस खंड का उद्घाटन न केवल कोलकाता बल्कि पूरे भारत के लिए एक मील का पत्थर है। यह आधुनिक परिवहन समाधानों की ओर एक कदम है, जो शहरी यातायात को सुव्यवस्थित करेगा और भविष्य में टिकाऊ विकास को बढ़ावा देगा।
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