Football history rules in hindi फुटबॉल एक विश्वप्रसिद्ध खेल है. इसे कई देशों में बहुत ही जोशो- खरोश के साथ खेला जाता है. ब्राज़ील स्पेन, फ्रांस, अर्जेंटीना आदि कई बड़े देशों के लोगों में इस खेल के प्रति एक अलग जूनून देखने मिलता है. ये एक टीम स्पोर्ट है जिसमें दो टीम बहुत ही जोश के साथ एक दुसरे के विरुद्ध खेलते है. इसमें गोल कीपर, बैकी आदि रूप में एक दल के खिलाड़ी अपना फ़र्ज़ निभाते हैं. इस खेल का मुख्य उद्देश्य होता है अपने विरोधी दल के खेमे में गोल दागना. ग्रिडिरॉन फुटबॉल, रग्बी फुटबॉल आदि खेल भी फुटबॉल के अंतर्गत ही आते हैं.
फुटबॉल खेल का इतिहास (Football game history)
‘फुटबॉल’ शब्द की उत्पत्ति कहाँ से हुई है, इसके पीछे कई लोगों की अलग अलग राय है. ये माना जाता है कि चूँकि इस खेल के दौरान गेंद को पैर से मारना होता है, इस वजह से इसका नाम फुटबॉल पड़ गया. हालाँकि इस नाम की उत्पत्ति का वास्तविक स्त्रोत का पता नहीं चल पाया है. फीफा के अनुसार फुटबॉल एक चीनी खेल सूजु का ही विकसित रूप है. यह खेल चीन में ह्याँ वंश के दौरान विकसित हुआ था. इसी खेल को जापान असुका वंश के शासन काल में केमरी के नाम से खेला जा रहा था. इस खेल का विकास एक लम्बे अरसे तक हुआ है. कालांतर में 1586 ई. में ये जॉन डेविस नाम के एक समुद्री जहाज के कप्तान के कार्यकर्ताओं द्वारा ग्रीन लैंड में खेला गया. फुटबॉल के विकास के सफरनामे को रोबर्ट ब्रौज स्मिथ ने सन 1878 में एक किताब की शक्ल में पेश किया.
फुटबॉल पंद्रहवीं शताब्दी में (Football in the 15th century)
पंद्रहवीं सदी में फूटबाल नाम का ही एक खेल स्कॉट लैंड में खेला जाता था. 1424 ई में इसे वहाँ पर फुटबॉल एक्ट के तहत बैन कर दिया गया. हालाँकि ये बैन जल्द ही हटा लिया गया, लेकिन तब तक लोगों में इस खेल की रूचि ख़त्म हो गयी थी और एक लम्बे अरसे के बाद उन्नीसवीं शताब्दी में इसका पुनर्जन्म देखने मिलता है. हालाँकि इस दौरान कई अन्य जगहों पर फूटबल खेला जा रहा था.
1409 ई में ब्रिटेन के राजकुमार हेनरी चतुर्थ ने पहली बार अंग्रेजी में ‘फुटबॉल’ शब्द का इस्तेमाल किया था. इसके साथ ही लैटिन में भी इसका एक विस्तृत इतिहास रहा है. कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि आज एक छोटा सा दिखने वाला फुटबॉल अपने आप में एक बहुत लम्बा इतिहास समाहित किये हुए है.
फुटबॉल के इतिहास के कुछ रोचक तथ्य (Football history facts)
इस इतिहास की कुछ प्रमुख तथ्यों की झलकियाँ नीचे दी जा रही हैं.
- सन 1486 में ये कहा गया कि ‘फुटबॉल’ एक खेल होने से अधिक एक विशेष तरह की गेंद है. यह कथन सैंट अलबन्स की किताब में निहित है.
- सन 1526 में इंग्लैंड के राजा किंग हेनरी अष्टम ने फूटबाल खेलने के लिए पहली बार एक जोड़ी ऐसा जूता बनाने की आज्ञा दी, जिसे पहन कर फुटबॉल आसानी से खेला जा सके.
- सन 1580 में सर फिलिप सिडनी की एक कविता में महिलाओं के द्वारा एक विशेष तरह का फुटबॉल खेलने का वर्णन आया है.
- 16 वीं सदी के अंत और 17 वीं सदी के आरम्भ में पहली बार खेल में मुकाबले की भावना को लाने के लिए खेल में ‘गोल’ की धारणा का अविर्भाव हुआ. इसके लिए खिलाडियों ने मैदान में दो विपरीत शीर्ष में झाड़ियाँ लगा कर गोल पोस्ट का निर्माण किया. उस समय आठ अथवा बारह गोल का एक मैच खेला जाता था.
- मध्य युग से ही फुटबॉल पर सदा बैन का संकट कायम रहा.
- सन 1314 में पहली बार ये कानून ब्रिटन में पारित हुआ. इसके बाद अठारहवीं सदी में इसे सशस्त्र विरोध का सामना करना पडा.
- सन 1921 में इंलिश और स्कॉटिश फुटबॉल लीग में महिलाओं का खेलना निषेध हो गया. हालाँकि इस बैन को सन 1970 में पुनः हटा लिया गया.
- वे महिलाएं जो फुटबॉल में अपना जज्बा दिखाना चाहती हैं, उन्हें आज भी कई मुश्किलों का सामना करना होता है.
फुटबॉल 20वीं सदी में (Football in the 20th century)
20 वीं सदी में खेल को एक ऐसे संस्था की ज़रुरत होने लगी, जो इस की देखभाल नियमित रूप से कर सके. इंग्लिश फुटबॉल एसोसिएशन की तरफ से कई ऐसी सभाएं आयोजित की गयीं जहाँ से एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की संस्था का उद्भव हो. फलस्वरूप यूरोप के सात बड़े देश फ्रांस, बेल्जियम, डेनमार्क, नीदरलैंड, स्पेन, स्वीडन और स्विटज़रलैंड ने मिलकर 21 मई 1904 में ‘फेडरेशन इंटरनेशनल ऑफ़ फुटबॉल एसोसिएशन’ (FIFA) की स्थापना की, जिसके पहले अध्यक्ष रोबर्ट गुएरिन हुये.
फुटबॉल वर्तमान में (Football in present)
दौरे हाज़िर में फुटबॉल बहुत ही बड़े पैमाने पर खेला जा रहा है. इसके कई मुकाबले राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने लगे हैं. इसके अतिरिक्त कई फूटबाल क्लबों की स्थापना राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो चुकी है. इस खेल का सबसे बड़ा मुकाबला फुटबॉल विश्वकप का होता है. लियोलें मेस्सी, रोनाल्डिन्हो, रोनाल्डो, नेमर, आदि कई नाम इस तरह दुनिया भर में मशहूर हुए कि आज का युवा वर्ग इस खेल के प्रति बहुत अधिक सजग दिखता है.
फुटबॉल खेल का फोर्मेट (Football games formate)
इस खेल में किसी भी दल का उद्देश्य नब्बे मिनट के खेल के दौरान अधिक से अधिक गोल करने का होता है. प्रत्येक दल में ग्यारह खिलाड़ी होते हैं. 90 मिनट के खेल के दौरान 45 मिनट पर एक ब्रेक होता है, जिसे हाफ टाइम कहते हैं. ये हाफ टाइम 15 मिनट का होता है. इसके बाद का 45 मिनट का समय लगातार चलता रहता है. इस दौरान यदि कोई खिलाडी घायल हो जाता है, तो ‘इंजरी टाइम’ के तहत कुछ देर के लिए खेल स्थगित हो जाता है. इसके बाद पुनः खेल शुरू होता है.
आधुनिक फुटबॉल गेंद (Football ball)
शुरूआती समय में फुटबॉल जानवरों की ब्लैडर से निर्मित होती थी. कालांतर में इस पर जानवरों की चमड़ी का इस्तेमाल होने लगा, जिससे इसका आकार निश्चित रहने लगा. आधुनिक समय में विकसित वैज्ञानिक तकनीक के सहारे कई बेहतर फुटबॉल कंपनियाँ स्थापित हो गयी हैं, जो मैच, खिलाड़ियों की उम्र, मैदान आदि के मद्देनज़र फुटबॉल बना रही हैं. फुटबॉल गेंद 58 सेमी से 61 सेमी के मध्य की परिधि का एक वृत्ताकार गेंद होती है.
फुटबॉल खेल का नियम (Football rules in hindi)
समय समय पर कई जगह पर विकसित होने की वजह से इसके कई नियम बन गये थे. हालाँकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसे हर जगह समय नियमों से खेला जाता रहा है. खेल लोकप्रिय हो जाने की वजह से इसके नियम इस तरह से बनाए गये कि हर देश के लोग इस खेल का आनद उठा सकें. नीचे एक एक करके नियमों की व्याख्या की जा रही है
- खिलाडी और खेल उपकरण : इस खेल के प्रत्येक दल में ग्यारह खिलाड़ी होने चाहिए. इन ग्यारह खिलाडियों में एक गोल कीपर और बाक़ी आउट फील्ड खिलाड़ी होते हैं. इस खेल का मैदान आमतौर पर 120 यार्ड लम्बा और 75 यार्ड चौड़ा होता है. प्रत्येक गोल के सामने एक 6 यार्ड का बॉक्स खींचा हुआ होता है. मैंदान के दोनों तरफ को इस तरह से सजाया और संभाला जाना चाहिए कि मैदान एक आधा हिस्सा इसके दुसरे आधे हिस्से का मिरर इमेज लगे. इस खेल में इस्तेमाल होने वाले उपकरण मुख्यतः सिर्फ एक आला क़िस्म की फुटबॉल’ ही होती है. हालाँकि इसके अलावा खिलाड़ी घायल होने से बचने के लिए फुटबॉल बूट, पैडेड ग्लव्स, शिन पैड आदि पहनते हैं.
- स्कोरिंग : इस खेल में पॉइंट स्कोर करने के लिए विरोधी दल के गोल पोस्ट में बॉल पंहुचाना होता है. ये गोल खेल के 90 मिनट के अन्दर ही करना होता है. इस समय के अन्दर दोनों दलों में अधिक गोल दागने वाले दल की जीत होती है. एक गोल पोस्ट की ऊंचाई 8 फीट और चौड़ाई 8 यार्ड की होती है.
- खेल जीतने के नियम : किसी भी दल को जीतने के लिए अपने विरोधी दल से अधिक गोल करना होता है. खिलाड़ी अपने पैर से गेंद अपने साथी खिलाडियों को पास करते हुए विरोधी टीम के गोल तक पहुँचाते हैं.
- मैदान में घास या तो कृत्रिम रूप से या प्राकृतिक रूप से उगाया हुआ होता है. मैदान को चतुर्भुजाकार रूप में चिन्हित किया होता है. साथ ही मध्य वृत्त के पास दो छः यार्ड का बॉक्स बनाया हुआ होता है.
- प्रत्येक दल किसी मैच के लिए सात अतिरिक्त खिलाडियों का नाम दर्ज करा सकता है. खेल के दौरान किसी भी समय उन अतिरिक्त खिलाडियों को पहले से खेल रहे खिलाडियों की जगह पर उतारा जा सकता है. मैदान में खिलाडियों की कुल संख्या किसी भी समय 11 ही होती है.
- प्रत्येक मैच में एक रेफरी और दो असिस्टेंट रेफ़री होते हैं. रेफरी खेल के दौरान समय निर्धारण, फ़ाउल, फ्री किक, पेनाल्टी आदि का संचालन करता है. किसी भी निर्णय से पूर्व आमतौर पर रेफ़री एक बार असिस्टेंट रेफरी से विमर्श कर लेता है. खेल के दौरान ऑफ साइड, थ्रो इन आदि का खयाल असिस्टेंट रेफरी करता है.
- यदि 90 मिनट के बाद भी खेल को अधिक समय की आवश्यकता होती है तो इसमें अतिरिक्त 30 मिनट का समय जोड़ दिया जाता है. ये अतिरिक्त समय 15 मिनट करके दो भागों में बंटा हुआ होता है.
- अतिरिक्त समय के बाद भी यदि खेल निर्णय तक नहीं पहुँच पाया तो ऐसी स्थिति में पेनाल्टी शूटआउट होता है. गोल पूरी होने के लिए संपूर्ण गेंद का गोल लाइन क्रॉस करना अतिअनिवार्य है.
- फ़ाउल के दौरान ग़लती किये हुए खिलाडी को रेफ़री उसकी गलती के अनुसार लाल या पीला कार्ड दिखा कर उसे मैदान से बाहर कर सकता है. पीला कार्ड एक तरह की चेतावनी होती है और लाल कार्ड से खिलाडी मैदान से बाहर हो जाता है.
ऑफ़साइड के नियम (Football offside rule)
यदि एक आक्रामक खिलाड़ी अंतिम डिफेंडर के सामने खड़ा हो जाए और अन्य खिलाडियों द्वारा पास खेल दिया जाए, तो ऑफ़साइड कॉल हो सकता है. आम तौर पर ऑफ़साइड को इस तरह से डीजाईन किया जाता है. कि कोई खिलाडी अपने विरोधी दल के पास कॉल के लिए अधिक देर तक ठहरा न रह सके. यदि आक्रामक खिलाडी इस तरह अंतिम डिफेंडर खिलाडी के सामने खड़े होकर उसे रोकने की कोशिश करता है तो ऑफ़साइड कॉल होता है और डिफेंडिंग खिलाडी को एक फ्री किक का मौक़ा मिलता है. गोल कीपर को अंतिम डिफेंडर के तौर पर नहीं पकड़ा जा सकता. यदि आक्रमक खिलाडी डिफेंडर के सामने खड़ा हो और गेंद को पीछे की तरफ खेला जाए तो ऑफ़साइड कॉल नहीं होता है.
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